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निःपात
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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infamy
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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opprobrium
Meanings: 9; in Dictionaries: 4
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demolition
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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destruction
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
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wipeout
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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धुड्डा उडविणें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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रेडया पाडयांचें झुंज नि झाडांचें (झाडांमाडास) मरण (झाडांमुळांचें कंदन)
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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धुड्डा
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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धुरडा
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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वीरहंता
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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सत्यनाश
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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संगीत स्वयंवर - काजा करिल घात , गवळी कुटि...
श्री रूक्मिणीस्वयंवराच्या सर्वश्रुत कथानकातील, श्रीकृष्ण व रूक्मिणी यांच्या चरित्रातील उदात्त तत्वे श्री. कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर यांनी नाटकाद्वारे प्रेक्षकांपुढे मांडली.
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घाणा घाटणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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नायनाट
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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संहार
Meanings: 47; in Dictionaries: 10
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बृहद्देवता - माहिती
बृहद्देवता संस्कृत भाषेतील छंदशास्त्र ह्या विषयातील शौनकऋषींनी रचलेला एक प्राचीन ग्रंथ आहे. The Bruhaddevatā (Sanskrit: बृहद्देवता), is a metrical Sanskrit work, traditionally ascribed to Shaunaka.
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धर्मयुद्ध
Meanings: 10; in Dictionaries: 7
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गोष्ट छत्तिसावी
संस्कृत नीतिकथांमध्ये पंचतंत्र कथांचे प्रथम स्थान मानले जाते.
The fascinating stories told by Vishnu Sharma, called Panchatantra.
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गोष्ट एकोणपन्नासावी
संस्कृत नीतिकथांमध्ये पंचतंत्र कथांचे प्रथम स्थान मानले जाते.
The fascinating stories told by Vishnu Sharma, called Panchatantra.
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संत तुकाराम - अवतार सूर्यवंशीं दिव्य घे...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट न केलेले अप्रसिद्ध अभंग
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अध्याय ४३ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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कथाकल्पतरू - स्तबक १० - अध्याय १०
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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क्रीडा खंड - अध्याय १२१ ते १२३
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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अध्याय ५० वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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गीत महाभारत - द्रौपदीचा संताप
महर्षी व्यासांनी लिहिलेले महाभारत हे मानवी जीवनाच्या सर्व अंगांना स्पर्श करणारे व ज्ञानाने ओतप्रोत भरलेले असे महाकाव्य आहे.
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अध्याय ४४ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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स्कंध १० वा - अध्याय ६६ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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नामरूप - ॥ समास पांचवां - कहानीनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
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लय
Meanings: 100; in Dictionaries: 14
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गोष्ट पंचेचाळिसावी
संस्कृत नीतिकथांमध्ये पंचतंत्र कथांचे प्रथम स्थान मानले जाते.
The fascinating stories told by Vishnu Sharma, called Panchatantra.
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अध्याय नववा
श्रीनित्यानंदतीर्थविरचित श्रीमार्कण्डेयपुराणांतर्गत श्रीदेवीविजय.
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अध्याय ५९ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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देवताविषयक पदे - पाळणा
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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चित्रापुरगुरुपरंपरा - कृताञ्जलिः
सुबोधाचा भाग तर अमोल आहे. तशीच प्रश्नोत्तरी ही ह्या गुरुचरित्राचें अपूर्व वैशिष्ट्य होय.
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अध्याय ३६ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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कथाकल्पतरू - स्तबक ८ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक १० - अध्याय २
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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दीपप्रकाश - अष्टविंशतितम किरण
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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कथाकल्पतरू - स्तबक २ - अध्याय २
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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अध्याय आठवा
श्रीनित्यानंदतीर्थविरचित श्रीमार्कण्डेयपुराणांतर्गत श्रीदेवीविजय.
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शिवभारत - अध्याय तिसरा
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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बालाजी माहात्म्य - भाग ८
ब्रह्माण्ड पुराण, वराहपुराण, वामन पुराण, स्कन्धपुराण, पद्मपुराण इत्यादी अनेक पुराण कथांमध्ये श्री व्यंकटेशाचे महात्म्य अनेक ठिकाणी वर्णन केले गेले आहे.
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अध्याय बत्तीसावा - श्लोक १५१ ते २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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खंड ६ - अध्याय ५
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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सार्थ लघुवाक्यवृत्ती - ओव्या २५५१ ते २६००
श्रीमच्छंकराचार्यकृत सार्थ - लघुवाक्यवृत्ती ग्रंथावर हंसराजस्वामींनी ओवीबद्ध टीकेसह, अतिशय सुंदर निरूपण केले आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक ६१ ते ६९
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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शिवभारत - अध्याय पाचवा
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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शिवभारत - अध्याय एकोणिसावा
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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अध्याय १ ला - श्लोक ३१ ते ४०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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